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साल का वो एक दिन
हर बार मुझे चांद की ऊंचाई पर ले जाता है।
जब चांद के साथ साथ,
मेरा भी चेहरा,
दिये की रोशनी में,
छलनी से देखा जाता है।।
तुम्हारा मेरे लिए यूं भूख-प्यास सहना,
मेरा रोम रोम,
पल-पल रोमांचित करता है।
तुम्हारा प्यार,
तुम्हारा त्याग,
तुम्हारा समर्पण,
मेरी सांसों में,
नित चाहत की आक्सीजन भरता है।।
तुम्हारा मुझ पर भरोसा,
मेरा सिर
गर्व से और ऊंचा कर देता है।
दिल करता है,
अपनी उम्र भी तुम्हार
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