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सहारे और उम्मीदें, बनाते खोखला हमको,
कभी कुछ भी कहीं,उससे हमें हासिल नहीं होता।
सदा अपने अथक श्रम, हौसले से बात बनती है,
सहारे ढूंढ़ता है वो, कि जो काबिल नहीं होता।।
...
नये दिन के उदय के संग, नई उम्मीद जगती है,
सुबह से शाम तक का वक्त होता है सजाने का।
फिर सारी रात ख्वाबों मे,उभरतीं हैं कई छवियां,
यही है रास्ता, खुद से किए वादे निभाने का।।
...
कभी म
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