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कभी सर्दी, कभी गर्मी, कभी बरसात होती है।
नहीं होता है जो मौसम, उसी की बात होती है।।
अगर सर्दी हो तो गर्मी के गुण गाते नहीं थकते।
और गर्मी हो तो आकाश में बादल सदा तकते।।
जहां पर जून में, धरती हमें अंगार लगती है।
वहीं बरसात में, छतरी भी हमको भार लगती है।।
अगर पतझड़ हो तो हमको, बहारों की रहे चाहत।
बहारों में बहे जो शीत, वो तन मन को करे आहत।।
पड़े सूखा तो हमको, बाढ़ के दिन याद आते हैं।
घिरें जो बाढ़ से तो, दिन वो सूखे के सुहाते हैं।।
किसी भी हाल में, संतुष्ट तन मन हो नहीं सकता।
भला भी चाहिए, लेकिन बुरे को खो नहीं सकता।।
जो है अच्छा - बुरा, अनुकूल या प्रतिकूल मौका है।
वरन दुनियां में ये मौसम ही क्या,हर चीज धोखा है।।
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