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हर नये साल, नया जोश उबलते देखा।
साल-दर-साल, कलेंडर को बदलते देखा।
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जो गया बीत, उसे तो न कभी याद किया।
आने वाले के लिए, सबको मचलते देखा।।
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दर्द, दुःख, कष्ट,आंसुओं को किनारे कर के।
एक उम्मीद को हर दिल में उछलते देखा।।
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एक आतंक के आगोश में समाए अगणित।
सभी को संक्रमण से बचते, संभलते देखा।।
...
सभी परिवारों ने झेला, है दंश-ए-कोरोना।
हर गली, बस्ती मे
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