गलती का बदला, गलती से देना अच्छी बात नहीं।
एक बुराई हेतु, भलाई से अच्छी सौगात नहीं।।
क्यों,कब,कौन सोचता है क्या,ये उसकी सरदर्दी है।
हम जो करें सही हो, बाकी तो उस रब की मर्जी है।।
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चूभती है जब सुई वस्त्र में, बनती है पोशाक नई।
चुभती है जब पिन कागज में,जुड़ जाते हैं पेज कई।।
बात चुभे जब कोई दिल को, चमत्कार हो जाता है।
भटक हुआ दिमाग और दिल, सही राह पा जाता है।।
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"एक्यूपंक्चर" में अंगों में, सुई चुभोई जाती है।
कई व्यथाओं से शरीर को,वही निजात दिलाती है।।
"इंजेक्शन" से जो औषधि, तन में पहुंचाई जाती है।
त्वरित इलाज करे रोगों का, और राहत दे जाती है।।
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वैसे गर कुछ भी चुभ जाए, कष्ट बहुत तन पाता है।
पीड़ा, व्यथा, दर्द से अक्सर,मन आहत हो जाता है।
कभी-कभी ये दर्द चुभन का, कुछ पीड़ा तो देता है।
पर बदले में जीवन की, लय में सुधार कर देता है।।
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सुविधाओं में डूबा तन-मन, नहीं हार सह सकता है।
जिसने झेली चुभन, वही वक्त की मार सह सकता है।।
सहना सीखो दर्द, कष्ट, पीडा़, मन को तैयार करो।
कोई चुभन बदल सकती है जीवन, मत प्रतिकार करो।।
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