अनुबन्ध's image
Share0 Bookmarks 57 Reads0 Likes

सघर्षों के साए में जो पले, चले दुर्गम राहों पर,

मरुभूमि के वही कैक्टस,जीवन के नव छन्द बनेगे।

नंगी चट्टानो के बीच, दरारों से उभरे जो अंकुर,

नये जमाने की पीढ़ी के, उन्नति के अनुबन्ध बनेगे।।

...

त्याग, तपस्या और तथ्य का, मानक नहीं कहीं मिलता है।

बुद्धि, विवेक, ज्ञान के संगम, से ही विजय पुष्प खिलता है।।

लक्ष्यविहीन अश्व आशा के, बेलगाम, बदरंग बनेगे।

फिर कैसे वो नव पीढ़ी के, उन्नति के अनुबंध बनेगे।।

...

रात और दिन के अन्तर को, कभी विभाजित ना कर पाए।

जो मंजिल को हथियाने को,मन,क्रम,वचन,लगन से धाए।।

वही समय आने पर, अपने स्वप्नो में सतरंग भरेंगे।

नये जमाने की पीढीं के, उन्नति के अनुबन्ध बनेगे।।

...

स्वजन,समाज,लोक के हित में, मानदंड जो बन जाएंगे।

कालखंड में उन्नत भविष्य, के परिचायक वह कहलाएंगे।।

उनके ही पदचिन्ह, अंधेरी राहों के मार्तण्ड बनेगे।

नये ज़माने की पीढ़ी के, उन्नति के अनुबन्ध बनेगे।।

...

बहुत कठिन होता है, सीमित साधन में समुचित फल पाना।

स्वजनों के, अपने सपनों को, पूरा करना और निभाना।।

आज नहीं तो कल, इन्ही के जीवन-सूत्र प्रचण्ड बनेगे।

नये जमाने की पीढ़ी के, उन्नति के अनुबंध बनेगे।।



No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts