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कल की छोड़ें बहस, आज की बात करें।
गम को भूलें, खुशियों की बरसात करें।।
...
चार दिनों का जीवन है, भरपूर जियो,
दुःख के कड़वे घूंट, न यूं दिन रात पियो।
कुछ पल-छिन खुशियों के भी होगें,उनको,
ढ़ूंढ़ो और उन्ही से मन के घाव सियो।।
...
भूत काल की घठनाओं से क्या लेना।
वर्तमान को है, हर सम्भव सुख देना।।
आत्मसात कर चिन्ताओं को मात करें।
गम को भूलें खुशियों की बरसात करें।।
...
सुख के हर पल के साथी मिल जाते हैं,
दुःख को स्वयं बलात झेलना पड़ता है।
व्यथा नहीं विचलित मन की जग जाहिर हो,
अभिनय खुशियों की आड़ खेलना पड़ता है।।
...
अन्तर्मन के भावों पर तो कुछ जोर नहीं।
पर ये दिल इतना भी तो कमजोर नहीं।।
दुखित हृदय में कुछ मीठी सौगात भरें।
गम को भूलें खुशियों की बरसात करें।।
...
कल की छोड़ें बहस, आज की बात करें।
गम को भूले खुशियों की बरसात करें।।
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