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पहिया उठाया अपने भुजा पे,
लड़ता रहा वह अपने दम पर।
सीने पे लिए अनगिनत बाण,
भारी पड़ा वह कई हजारों पर।
एकांत हो गया कुरुक्षेत्र में जब,
गिर पड़ा वह युद्ध की धरा पर।
बालक की वीरता देख शत्रु भी बोले,
नहीं है अभिमन्यु जैसा कोई दूजा वीर यहां पर।
- तरुण पटोलिया
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