
घर के कोने में बैठी एक गृहिणी कर रही थी
अपने जीवन में सुख के आने का इंतज़ार I
क्योंकि कोई नहीं करता था उसकी कद्र,
इसलिए उसने भी उम्मीद छोड़ दी थी इस बार I I (1)
पति था अपनी अय्याशियों में पूरी तरह लिप्त,
बच्चे थे अपनी पढाई को लेकर मग्न I
वो रह जाती थी अपनी घर-गृहस्थी में तन्हा,
ऊपरवाले ने किया उसके जीवन में उसके छोटे भाई को संलग्न I I (2)
एक रोज़ उस संलग्नित को भी जाना पड़ा उससे दूर,
क्योंकि था सवाल उन दोनों की सबसे छोटी बहन गिन्नी की ज़िन्दगी का I
कर्करोग से पीड़ित हो चुकी थी वो,
उस समय कोई रामबाण इलाज भी नहीं था इस बीमारी का I I (3)
गृहिणी ने पूछी अपने भाई से रवानगी की वजह,
वो निकल पड़ा एक सफ़ेद झूठ बोलकर I
कि उसको आ पड़ा है बहुत ज़रूरी काम,
ताकि उसकी बहन चिंतन मनन में न रहें दिन भर I I (4)
अस्पताल जाते समय गिन्नी दर्द में कराहती रही,
वो बस दीदी-दीदी बोलती रह गई I
यही थे उसके आखिरी बोल,
उसकी आखिरी ख्वाहिश भी अधूरी रह गई I I (5)
जब हुआ था गिन्नी का पार्थिव शरीर गाँव में दाखिल,
उस वक़्त मानो दौड़ गई थी एक लहर I
रोगी वाहन के पीछे एक काफिला चला आ रहा था लोगों का,
यह था उसके प्रति गांववालों के प्यार का कहर I I (6)
रोगी वाहन के गंतव्य पर पहुँचते ही,
गिन्नी का अंतिम संस्कार हुआ निभाकर सारी रस्म I
गृहिणी को भी चिट्ठी भेजी गई जिसे पढ़कर,
बिखर गई उसकी ज़िन्दगी और ख़त्म हुई यह नज़्म I I (7)
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