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अन्यमनस्क

Sylvester BrittoSylvester Britto June 16, 2020
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एक बार निहार लो मुझे,

मशगुल हो जाऊँगा तुम्हारी अँखियों के झरोखों में I

अगर विश्वास न हो तो,

पूछ लो मेरी हुस्न-ए-मोहब्बत के किस्से जाकर मयखाने में I I


अपनी फ़िक्र तो छोड़ ही दी है मैंने,

क्योंकि मेरी ज़मीर में तुम्हारा वास है I

कहीं ऐसा न हो मेरे दिल का अस्तित्व ही ख़त्म हो जाए,

दिलोदिमाग पर लगती सिर्फ यही खटास है I I


तुम्हारी मुस्कुराहट के बगैर यह जिस्म अधूरा है,

कराहता,सिसकता है यह सिर्फ तुम्हारे दीदार न हो पाने की वजह से I

मेरे शरीर के अंगों का तो मुझ पर है ही नहीं कोई इख्तियार,

रोता है यह सिर्फ एक इतवार की वजह से I I


पढाई लिखाई तो बस कुछ ही दिनों रहेगी,

लेकिन तुम्हारे लिए मेरा आकर्षण,मेरी मोहब्बत ताउम्र रहेगी I

पता नहीं कैसे इज़हार कर पाऊँगा इस बात का,

किया तो डर इस बात का रहेगा कि तुम्हारी और मेरी दोस्ती बरक़रार रहेगी या नहीं रहेगी I I


कभी कभी देखता हूँ मैं दर्पण में,

और निहारता हूँ अपनी सूरत I

भूत भगवान तो सब मन की सोच है,

हमेशा तुम ही आती हो मेरे सामने बनकर एक मूरत I I


जब इस छोटे से जहाँ (स्कूल )में होगा हमारे मिलन का आखिरी दिन,

तब कैसे करूँगा तुम्हें अलविदा?

सोचकर ही मैं बिलख उठता हूँ,

कल्पना के भँवर में कहीं मैं ही न हो जाऊँ गुमशुदा I I






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