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रेत से फैले थे हम
आईना बना दिय था किसीने
साफ से दिखते थे, पर
तोड़ा भी तो था उन्होने ।
राह ढूडने वाला मै
मोतियो सा बिखरा हूँ
मुझे अपना कहने वाले
उन्हे सपनो मे रख आया हु ।
सुख की जैसे छाया है
वैसे मेरी किस्मत की हे काया
थक चुका हूँ बेच के खुदको
पर स्वाभिमान ना गवाया ।
वक्त चलता ही जायेगा
मंजिल की तो सोचो
रिश्त
आईना बना दिय था किसीने
साफ से दिखते थे, पर
तोड़ा भी तो था उन्होने ।
राह ढूडने वाला मै
मोतियो सा बिखरा हूँ
मुझे अपना कहने वाले
उन्हे सपनो मे रख आया हु ।
सुख की जैसे छाया है
वैसे मेरी किस्मत की हे काया
थक चुका हूँ बेच के खुदको
पर स्वाभिमान ना गवाया ।
वक्त चलता ही जायेगा
मंजिल की तो सोचो
रिश्त
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