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तू दूर है
पर मेरे दिल में है
प्यार मेरी रूहानी है
शायद तुझे लगा ये जिस्मानी है
तू काफ़िर बनी मेरे प्यार को ठुकरा कर
मेरे फूल से नाजुक दिल को
तूने एक झटके में काटो भरा समुन्दर बना दिया
और ऐसा दाग़ दिया इस दिल को
जैसे चाँद पे लगा वो धब्बा
जा तुझे माफ़ किया
ये सोच के की
शायद तेरे किये का तुझे सही सिला मिला होगा
शाश्वत
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