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निकलते हैं एक अनजान सफ़र को,
काम की तालाश में।
छोड़ कर घर परिवार अपना,
साथ लेकर बस मजबूती अपनी
और साहस (धूप-प्यास) से लड़ने की।
और कंपकंपाती ठंड भी धैर्य रख कर काम करने की ,
और शाम तक डटे रहने की।
जाते हैं एक द्वंद ल
काम की तालाश में।
छोड़ कर घर परिवार अपना,
साथ लेकर बस मजबूती अपनी
और साहस (धूप-प्यास) से लड़ने की।
और कंपकंपाती ठंड भी धैर्य रख कर काम करने की ,
और शाम तक डटे रहने की।
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