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तुम अब बदल गयी हो….
कभी मेरी एक आवाज़ पर
सब कार्य छोड़कर
तुम क्षण भर में
प्रकट हो जाया करती थी
मेरी हर बात पर
हामी भरना
मानो धर्म था तुम्हारा
मेरे सपने मेरी पसंद
सिर्फ़ मेरे इर्द गिर्द
जीवन था तुम्हारा
पर भार्या मेरी
अब तुम बदल गई हो
देखता हूँ आजकल तुम
अपने बारे में सोचती हो
भीड़ के बीच में अक्सर
अपने अस्तित्व को खोजती हो
परिधान और रंग दोनो No postsSend Gift
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