Share0 Bookmarks 60847 Reads0 Likes
अकेला खड़ा था जब मुस्किल घड़ी थी
कारवाँ खुद जुड़ गया कामयाबी के आते ही
_______________________________________
कलम जिनकी ग़ुस्ताख़ होती है
अक्सर सर उनके कलम होते हैं
______________________________________
मैं उन्हें जीवन का संघर्ष सुना रहा था
वो कहानी समझ उबासी ले रहे थे
No postsSend Gift
No posts
No posts
No posts
Comments