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गरम चाय की प्याली
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बदले रिश्ते सारे अपने
जेब हुई जब ख़ाली
नहीं बदली फ़ितरत जिसकी
वो गरम चाय की प्याली
ठंड अलबेली या बरसे पानी
धुँधली भोर या साँझ मतवाली
हर धुएँ में कश भरने वाली
सड़क किनारे बतियाने वाली
दम दोस्ती का भरने वाली
वो चाय कटिंग टपरी वाली
हर अंतराल को ताज़ा करने वाली
माहौल दफ़्तर का बनाने वाली
रूठों को मनाने वाली
घर आँगन महकाने वाली
हाय ,लौंग इलायची अदरक वाली
वो गरम चाय की प्याली
-सुधीर बडोला
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