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गरम चाय की प्याली
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बदले रिश्ते सारे अपने
जेब हुई जब ख़ाली
नहीं बदली फ़ितरत जिसकी
वो गरम चाय की प्याली
ठंड अलबेली या बरसे पानी
धुँधली भोर या साँझ मतवाली
हर धुएँ में कश भरने वाली
सड
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