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दूरियाँ
हम क्या थे, क्या हो गए हैं
नहीं दिल रहा अब वश में हमारे
की हम ग़ैर के हो गए है ॥
तनहा ये रातें कटती नहीं हैं
नज़र तेरे चेहरे से हटती नहीं है
दिखे चाँद में भी चेहरा तेरा ही,
सितारों में हम खो गए हैं
हम क्या थे, क्या हो गए हैं ॥
छिपने की ख्वाहिश पहलू में तेरे
बादल सी ओढ़नी ज़ुल्फ़ों के घेरे
ग़ुस्ताख़ आँखों ने हंसकर जो छेड़ा
आज ख़फ़ा हमसे वो हो गए है
हम क्या थे, क्या हो गए हैं ॥
चुभती हैं ख़ंजर सी ये दूरियाँ अब
ख़त्म होंगे फ़ासले ना जाने कब
मुश्किल अब समझाना इस बेक़ाबू दिल को
कि तेरे पास आने को बेताब हो गए हैं
हम क्या थे, क्या हो गए हैं ॥
सुधीर बडोला
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