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अभिमान
शरारत की पुड़िया ग़ुस्ताख़ चंचल हो तुम
निर्मल स्वच्छ कितनी निश्छल हो तुम
दे धरा को भी राहत उस बादल सी तुम
आसमाँ में उड़ते रंग बिरंगी आँचल सी तुम
डोर साँसो की अपने पापा की परी हो तुम
अल्हड़ पवन सी मासूमियत से भरी हो तुम
मेरे घर का उजाला जैसे खिलखिलाती धूप
हुई जीवन में अवतरित तुम दिव्य देवी स्वरूप
जोड़े सभी को वो स्नेह का धागा हो तुम
उगते सूर्य किरण की मधुर आभा हो तुम
सौभाग्य मेरा तुमसे, मेरा अभिमान हो तुम
मानो ख़ुदा का सबसे बड़ा एहसान हो तुम
अंधकारमय उदासी में रोशनी का आभास हो तुम
चटकती धूप में शीतल हवा का एहसास हो तुम
मुस्कान से अपनी थकावट मेरी दूर करती हो तुम
मेरी हर उलझन हर चिंता को
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