वह गलियां बदनाम पड़ी है।'s image
Poetry1 min read

वह गलियां बदनाम पड़ी है।

sudha kushwahasudha kushwaha October 16, 2021
Share0 Bookmarks 217270 Reads1 Likes

गुजर जाती मैं भी उन गलियों से।

पर वह गलियां बदनाम पड़ी थी।

चाहने वाले बहुत थे।

पर मुझे उनकी चाहत में दिखती कमी थी।

रूहे खुश हो पाती नहीं थी।

मैं 5 मिनट में बोर हो जाती थी।

जिंदगी के किस्सों में मशहूर मैं।

उनकी मोहब्बत खुद के लिए देख के।

कभी-कभी अपने सांवरे रंग पर।

मैं इतरा जाती थी।

मैं अपनी मुस्कुराहट को चुपके से दोहरा जाती थी।

गुजर जाती मैं भी उन गलियों से।

पर वह गलियां बदनाम पड़ी थी।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts