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यह तो होना ही था।
एक दिन आपको अपनो की महफिल में गैर होना ही था।
एक मासूम का दिल तोड़ कर।
तुम जो इतना इतरा रहे थे।
बार-बार उसके बेवफाई के किस्से सुना रहे थे।
सच तो यही था
ना तुम बेवफा थे।
ना हम तुमसे खफा थे।
हम तो अपनी तकदीर पर रुसवा थे ।
जिस कायनात ने हमें दि ए जिंदगी।
तोहफे के रूप में दिया था।
दर्द ए इश्क।
हम उससे क्या कहेंगे।
खुशियों को दर बदर कब तक तलाशते रहेंगे।
हम अपनों के भीड़ में गैरों से नजर आए।
गली-गली घूमकर तलाशा।
हर गली हर नुक्कड़ पर इंतजार किया।
फिर भी हम वफा ना पाए।
हाय रे तकदीर हमारी जब से जाना खुद को हमने।
हम कभी मुस्कुरा ना पाए।
यह तो होना ही था।
एक दिन आपको लौट कर
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