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बूढ़ी आंखें।

sudha kushwahasudha kushwaha March 21, 2022
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बूढ़ी हो गई ये आंखें ।

शिव तुमसे मन्नत मांगते मांगते।

आज भी चाहत है

उसको पाने की।

एक अधूरी कहानी की।

लम्हा लम्हा गुजरता है। उसके इंतजार में।

वह आया लौटकर मेरे ही ख्वाब में।।

सपनो से थे यह पल।

झिलमिलाते सितारों की तरह।

कई बरस तड़पती रही है आंखें।।

उस के इंतजार में।

अब बूढी हो गई आंखें।

शिव तुमसे मन्नत मांगते मांगते।

श्रद्धा से अपने हाथों पर दीपक जलाते जलाते ।

बुझती आस को बार-बार जगाते जगाते।

कहती रही लोटो तो सही।

जनाब हमारे ख्वाब में।

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