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तड़पते दिल को और तड़पाया ना कर
रोती हुई आंखो को और रुलाया ना कर
मालूम है के तुम मेरे ना हो सखे
खुद को मेरे सामने किसी और जताया ना कर

Wrriten By 
Shaikh Shezad 

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