कहानी अनकही सी's image
6 min read

कहानी अनकही सी

SRP_ creationsSRP_ creations June 16, 2020
Share0 Bookmarks 250763 Reads1 Likes

​कहानी अनकही सी

सिद्धार्थ एक गांव में रहने वाला बच्चा सी।धा साधा सा पढ़ाई में अव्वल तो शरारतों में भी 

अब धीरे धीरे समय के साथ सिद्धार्थ बड़ा हो रहा था । सिद्धार्थ 10 वीं कक्षा में पहुंच गया और लगन के साथ पढ़ाई करने लगा लेकिन उसकी शरारतें भी बदस्तूर जारी थी । गांव के विद्यालय से 10 वीं में गांव में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त किये तो पिताजी जोकि सरकारी अध्यापक थे खुश हुए और उन्होंने सिद्धार्थ को शहर भेजने का फैसला किया।

गांव का शरारती लड़का अब शहर के स्कूल में गुमसुम से रहने लगा न किसी से कुछ कहता ना किसी को कुछ बताता 

फिर उसकी प्रत्युष के साथ मुलाकात हुई ।

प्रत्यूष भी सिद्धार्थ की तरह ही चंचल मन वाला था लेकिन पढ़ाई में उतना होशियार नहीं था धीरे धीरे दोनो की दोस्ती गहरी होने लगी । दोनो एक साथ स्कूल जाते और आते लेकिन स्कूल में एक साथ नहीं रहते क्योंकि सिद्धार्थ साइंस का स्टूडेंट था तो प्रत्युष आर्ट्स का। आब सिद्धार्थ को घर चाहिए था रहने के लिए क्योंकि कुछ दिन तक तो वो अपनी दूर की बुआ जी के घर रह लिया लेकिन आब पूरे साल उसे रहना था तो उसने कहीं पर पेइंग गेस्ट के रूप में रहने का फैसला किया ।

ये बात उसने आपने दोस्त प्रत्युष को बताई तो उसने कहा मेरे घर पर एक कमरा खाली है आज शाम को पापा से बात करता हूँ। दूसरे दिन उसने प्रत्युष से पूछा तो उसने कहा पापा ने रहने के लिए हां कर दी है । ये सुनकर सिद्धार्थ बहुत खुश हुआ ।

और वह प्रत्युष के साथ उसके घर के पास की दुकान पर चाय पीने गए । 



और दूसरे दिन सिद्धार्थ प्रत्युष के घर रहने चला गया। प्रत्युष की माताजी भी उसका बेटे की तरह ही ख्याल रखती थी । स्कूल के बाद दोनो हर शाम को उस चाय की दुकान पर जाते और एक दूसरे को सारे दिन का हाल सुनाते। ये तो मानो उनकी रोज की आदत सी बन गयी थी।

खोया खोया सा रहने वाला सिद्धार्थ आब थोड़ा खुलने लगा

एक दिन शाम को चाय पीने के बाद जब दोनों घर जा रहे थे तो सिद्धार्थ की नजर एक लड़की पर पड़ी जो साइकिल पर जा रही थी । वो केवल उसकी थोड़ी सी झलक देख पाया। उसने प्रत्युष को कहा तू घर जा मुझे कुछ काम है। मैं आता हूँ । ये कहकर वो उसके पीछे चल पड़ा लेकिन वो उसे देख नहीं पाया । कुछ देर तक उस दिशा में जाने के बाद वो वापस घर की और चल पड़ा । घर आने पर जब प्रत्युष ने उससे पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया । लेकिन उस सुंदर बाला को न देख पाने का मलाल अभी भी उसके मन में था । वो जब तब उसी लड़की के ख़यालों में खोया रहता।

उसका बस एक ही अरमान था की वो उस लड़की को एक बार फिर से देख पाए।

इन्हीं ख़यालों में खोया हुआ सि

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts