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हे मालिक ! मेरी सुन लीजो,
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो।
पत्ता , कीड़ा बनाय के ,
भले जमीन पर फेंक दीजो,
बस मालिक ! मोहे बिटिया न कीजो।
इज्जत नाही बिटिया की,
तोरी सागर सी दुनिया मां
अरे ! आसमान में जायके बड़ी हूं
देख दुनिया की छोटी सोच
मैं सिसकती भू में पड़ी हूं।
अरे ! तुझे बनाना है तो
रेगिस्तान का ऊंट बनाय दीजो,
बस अगले जनम; मोहे बिटिया न कीजो।
सभी सिर्फ हमपे अपना हक जतावे,
पूछे ना कोई...
बेटी जीवन मां का करना चाहवे...?
<
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो।
पत्ता , कीड़ा बनाय के ,
भले जमीन पर फेंक दीजो,
बस मालिक ! मोहे बिटिया न कीजो।
इज्जत नाही बिटिया की,
तोरी सागर सी दुनिया मां
अरे ! आसमान में जायके बड़ी हूं
देख दुनिया की छोटी सोच
मैं सिसकती भू में पड़ी हूं।
अरे ! तुझे बनाना है तो
रेगिस्तान का ऊंट बनाय दीजो,
बस अगले जनम; मोहे बिटिया न कीजो।
सभी सिर्फ हमपे अपना हक जतावे,
पूछे ना कोई...
बेटी जीवन मां का करना चाहवे...?
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