
हुआ पड़ा हैं बहुत अकाल, जिसकी कोई नहीं पड़ताल,
लटक रहा हैं फांसी सा, अंध श्रध्दा का जंजाल,
चल रहें हैं युद्ध सैकड़ो, मन के रण में अनंत अपार,
जागो हे वीर युवाओं! देखे सारा ये संसार । ।
सीख सारे प्रतिभा कौशल, करो देश का नव निर्माण,
दीप जलाए तुम ज्ञान का, दूर हटाओ भ्रष्टाचार,
आज़ाद भगत के विचारों से तुम, शिक्षा का उद्घोष बजाओ,
रौलेट हो या हो सत्याग्रह, चुनौतियों से भय न खाओ
अब तो युवाकाल ले आओ ×2
तोड़ गुलामी की जंजीरें, नई देश की पहचान बनाओ,
चुप मत बैठों ऐ युवाओं, सावरकर सी क्रान्ति लाओ,
वीर साहसी सैनिक सा तुम, नस- नस में लहू दौडाओं,
दुश्मन हो या हो हिमालय, चीर के उनको पार हो जाओ
अब तो युवाकाल ले आओ ×2
हिंदुस्ता की इस मिट्टी पर, न हो अब कोई कारागार,
ऐसा नहीं कोई हथियार, जो तोड़ सके युवा की ढाल,
जातिभेद और राष्ट्रभेद को, खोखले मन से मत फैलाओ,
जहाँ भी जाओ दुनिया में तुम, ध्वज राष्ट्र को सम्मान दिलाओ।
अब तो युवाकाल ले आओ ×2
नेता हो या आम आदमी, सबका इम्तिहान कराओ,
रिश्वतखोरी लूट डकैती , इन पर ज़रा लगाम लगाओ,
संविधान को फिर खोलो तुम, युवाकाल कानून लिखाओ,
जागो फिर एक बार ऐ युवा, पीढ़ी को सही राह दिखाओ,
अब तो युवाकाल ले आओ ×2
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