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धरती फटी न जलजला आया
न खुदा आया न भगवान आया
फिर तेरह साल की बच्ची को
हवस न अपना शिकार बनाया
निर्दयता क़ा ताण्डव न रुका
जब तिलकधारी रखवाले ने
बैठ के कानून की चौकी पर
कानून को ही शिकार बनाया
जाने कबतक देश की वेदी पर
ऐसे ही निर्भया की बलि चढ़ेगी
क्यो नही बोले अब बहुत हुआ
अब और कानून नही बनेगा
जब जब यहां अत्याचार हुआ
सत्ता न कानून कोई बचा सका
कहां जोर लगाते रह गए सारे
कानून पर कानून बनाते गए
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