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तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो

suresh kumar guptasuresh kumar gupta May 22, 2023
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काज़ी प्रीत खुदा से की होती
हर पल महक जहान में होती।
प्रीत की महक कब छुप पायी
वह तो मैंने रोम रोम में बसाईं।

प्रीत इबादत है उस खुदा की
जब जब छुपायी बाहर आई।
शोख अदाओं में झलक आई
यह खामोशियों में नजर आई।

दिल की गहराइयों में पनपती
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