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टिकटों की आपाधापी यहा गिरा वहां गिरा
कोई खजूर में अटका जो आकाश से गिरा
दहाडे मार रो रहा कोई आत्मदाह को खड़ा
पार्टी छोड़ भाग गया कोई बगावत कर रहा
बीबी को मिली सीट जहां था नज़रे गड़ाए
किया हंगामा बेटी को ना टिकट दिला पाये
बोलै एक टिकट न देकर भ्रूण हत्या कर दी
पार्टी के लिए खून बहाया ये सिला मिला।
खड़ा सभी को होना पार्टी बैनर मिल जाये
आजमाना चाहै सभी पर कितने जीत पाते
खुद के लिए हार पार्टी को जिल्लत दिलाते
न टिकते जमीन पर ऊंची उड़ान भर जाते।
काश सेवा हो मापयंत्र, भाग जाएंगे सभी
पार्टी बदल जाती, चेहरे कहाँ बदल पाते है
आ जाते है सेवा के नाम मेवा खा जाते है
लोगो का हक मार अपनी कोठी बनाते है।
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