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दुआ करो इस तरह इश्क में न पड़े होते
मोबाइल उनका बिल हम चुका रहे होते
फरमाइश होती दल बल सहेलियां होती
ड्राइवर बनते माल सिनेमा घूमा रहे होते
हम रोना कहाँ रोते वे खिलखिला जाते
आंसू हमारे वे सावन की फुहार सा लेते
महीने का बजट बिगडे जो बिल भरते
अब तो फ़ोन उठाते हुए भी डरते जाते
अब कितनी भी घंटी बजती रह जाए
हमभी तो नो रिप्लाई जॉन में टिके रहे
किस मनहूस घड़ी में इश्क सिर चढ़ा
अब तो हम हर घड़ी सिर धुनते ही रहे
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