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देखते उस मुकाम को पीछे छोड़ आये
कभी बना आशियाना बंजर छोड़ आये।
ताली थाली बजाई वहां झाँकने न गए
पूछ लेते अपने आपसे क्यों बजा आए।
चीन वही हम भी वही दीवाली थी वही
पटाखे लडे सबका बहिष्कार कर आए।
कमी तो न रह गई कोई इस तपस्या में
देख लेते क्यों उनका व्यापार बढा आए।
मार्च आते ही अपना नव वर्ष याद किया
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