रोलरकोस्टर की सवारी's image
Poetry1 min read

रोलरकोस्टर की सवारी

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 12, 2023
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes

जैसे ऊपर उठे दुनिया सिकुड़ती गयी
धरातल से उठे खुशियां सिकुड़ गयी

उसने तो कहा था खेल खतरनाक है
मगर दिल कहां मानने को तैयार था

जब रोलरकोस्टर की सवारी कर बैठे
दिल ने माना ये मजा कुछ खास रहा

शुरू शुरू में उड़ने का अहसास था
आगे का सफर इतना न आसान था

आगे बढते चेहरे के भाव बदल गए
क्षण वह तो अविस्मरणीय ही हुआ

दिल जो बल्लियों उछलता जा रहा 
वहां अजीब खौफ का परिवेश रहा

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts