
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
जैसे ऊपर उठे दुनिया सिकुड़ती गयी
धरातल से उठे खुशियां सिकुड़ गयी
उसने तो कहा था खेल खतरनाक है
मगर दिल कहां मानने को तैयार था
जब रोलरकोस्टर की सवारी कर बैठे
दिल ने माना ये मजा कुछ खास रहा
शुरू शुरू में उड़ने का अहसास था
आगे का सफर इतना न आसान था
आगे बढते चेहरे के भाव बदल गए
क्षण वह तो अविस्मरणीय ही हुआ
दिल जो बल्लियों उछलता जा रहा
वहां अजीब खौफ का परिवेश रहा
झूला तो आसमान छूने निकल पड़ा
और खुशी कहीं गहरे में दब रही थी
मुंह से चीख अनवरत निकलती रही
पल पल घबराहट का वह सफर था
जीवन का ये अहसास थी बुलंदियां
ऊपर उठने का तो मन मे गुमान था
दिल की गहराइयों में जो छुपा हुआ
हर पल डरते जाने का अहसास था
शायद सही कह गए बुजुर्ग जमाने मे
उतरे तो दिल में शकुन का भाव रहा
औकात और धरातल से जुडकर रहे
यही सच है खुशियां उन पल में बसे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments