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12वीं सदी में जो नालंदा आज है वही था
ज्ञान चरमोत्कर्ष विश्वगुरु ख्याति तभी था
प्रमुख शिक्षा केंद्र था दूरदूर से पढ़ने आते
वे दूर दूर विश्व मे ज्ञान की रोशनी फैलाते
नालंदा ध्वस्त किया बख्तियार जब आया
न बचा सके नब्बे लाख किताबे जला गया
आज न बख्तियार न कोई जलजला आया
कौन बस्ती में आग लगा नालंदा जला गया
धर्म के नाम दरिंदा बस्तियों में आग लगाता
आम आदमी मुश्किल से गृहस्थी चलाता है
बेबस है आदमी आज फिर घरौंदा जल उठा
अपने लोगो से आज फिर नालंदा जल उठा
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