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भाषा मे आज तो जीना दूभर हो गया
मुहावरे कहते कैसा दौर शुरू हो गया
मुहावरे भी आज मुंह छुपाने लगे हुए
लोगो मे मानहानि का सामान जो हुए
बोले थे खोदा पहाड़ निकली चुहिया
बुरा मान गए चुहिया कैसे बोल दिया
शान से जब वह "मैं शेर हूं" बोल पड़े
वे ट्रोल हुए लोग बोले जंगली हो गया
इनका तो काटा पानी नही मांगता है
अपमान कर दिया विषैला बता दिया
मत बोल देना अब गयी भैस पानी में
वे तो लड़ पड़ेंगे भैंस क्यों बता दिया
अपनी भाषा अब आप ही संभालिये
हमे नही घसीटे हमको बख्श दीजिए
हम आये थे भाषा को तंदुरस्त करने
आप हमको ही दुरस्त करने लगे हुए
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