मेरे गांव में मदारी's image
Poetry2 min read

मेरे गांव में मदारी

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 24, 2023
Share0 Bookmarks 133 Reads0 Likes
आज मजा आएगा बच्चों में उत्साह है
गांव में मदारी दिखाने आया खेल है
गली गली घूमता डुगडुगी बजा रहा है
बच्चे घर से निकल निकल भाग रहे है 

गांव के चौक पर मजमा लगा हुआ है
डुगडुगी बज रही तालियां बजा रहे है
बोल जमूरे कौन मजलिस में जमा है
मदारी खड़ा सबको सलाम बजाता है

रोगी भोगी बाल बूढे सेठ चोर जमा है
बोल जमूरे इन दिलो मे क्या तूफान है
मदारी बोलता पापी पेट का सवाल है
बुरा न माने यह हंसीखुशी का खेल है

जमूरा हर दिल देखके तू राज खोलेगा 
न डरेगा जमूरा दिल की बात बोलेगा 
बोल जमूरे समाज दशा दिशा क्या है
भाग्य महल में झोपड़ी में बदनसीब है

बोल जमूरा जो सेठ क्यों बड़ा पेट है
गरीबी पे डाका गरीब का हक मारा है
बड़े बड़े टेंडर सारे पलभर में डकारे है
पूल पूरा बनाया माल में भूसा डाले है

बोला जमूरा सूटबूट में कौन खड़ा है 
दफ्तर में बाबू चालीस टका हिस्सा है
दिखने में छोटा है बडा करतबगार है
आगे पानी भरता है ठेकेदार चेला है

बोल जमूरा काले कपड़े में साहब है
जजसाब माई बाप कलम चलाते है
लंबा लटका देते जेल में डाल देते है
नोटो के बंडल देख आंखे ढक देते है 

नेता में भ्रष्टाचार नजर नही आता है
मीडिया उड़े नही पंख कतर जाते है
कल्कि अवतार है हाथ मे तलवार है
जो खड़ा लाठी लेकर यहां सरदार है 

बोल जमूरा तू अलीम क्या विचार है
जो दे उसका भला न दे तो भी भला 
हम यहां बाशिन्दे बाकि जमींदार है
पांच किलो मिलता मोदी सरकार है

गरीबी भुखमरी बेरोजगारी महंगाई 
न बसे यहां हम हिन्दू देश हमारा है
हमे क्या खबर किसकी सरकार है
रोजी रोटी मिले बस परवरदिगार है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts