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देवी पराक्रम महिषासुर सेना नष्ट हो गयी
वह भैसें का रूप धारण कर प्रकट हुआ
चण्डिका को क्रोध में मारने उद्यत हुआ
देवी ने पाश फेंककर दैत्य को बाँध लिया
बंध जाने पर उसने दैत्य रूप त्याग दिया
बार बार वह रूप बदल युद्ध करता गया
चर-अचर जीव त्रिलोक व्याकुल करता
आखिर वो भेंसे के रूप में अवतीर्ण हुआ
बलवीर्य मद से क्रोध में दैत्य गरजता रहा
क्रोध में देवी मधु पान कर अट्टहास करती
गर्ज गर्ज ले मूढ़ जबतक मधुपान करती
मेरे हाथों कब तेरी मृत्यु तय नजदीक हुई
कहकर देवी उछल उस दैत्य पर जा चढ़ी
पैर से दबा शूल से गले पर आघात किया
दैत्य दूसरे रूप से मुख से बाहर होने लगा
आधा ही निकला देवी ने सिर काट डाला
राक्षस सेना हाहाकार कर भाग खड़ी हुई
देवता स्तुति करे अप्सराएं नृत्य कर रही।
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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