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बेल मिल गयी बधाइयां मिल रही
जुलूस में स्वागत लाजवाब हुआ
लोकतंत्र का जब जुलूस निकला
लोकतंत्र चिर निद्रा में लीन हुआ
मिला भी तो क्या आठ करोड था
इतना तो पान खाकर थूक दिया
छबि देख के दिल बाग बाग हुआ
भ्रष्टाचार देश के गले का हार हुआ
फानूस रोशन हो सब रोशन हुआ
दिये तले मगर अंधेरा बना ही रहा
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