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लोकतंत्र कहाँ खो गया

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 8, 2023
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बेल मिल गयी बधाइयां मिल रही
जुलूस में स्वागत लाजवाब हुआ
लोकतंत्र का जब जुलूस निकला
लोकतंत्र चिर निद्रा में लीन हुआ

मिला भी तो क्या आठ करोड था
इतना तो पान खाकर थूक दिया
छबि देख के दिल बाग बाग हुआ
भ्रष्टाचार देश के गले का हार हुआ

फानूस रोशन हो सब रोशन हुआ
दिये तले मगर अंधेरा बना ही रहा 
नादान कह रहे अंधेरा बचा कहां
भ्रष्टाचार का अंधेरा विदा हो गया

ढूंढते है ढूंढने वाले क्या खो गया
पूछते है लोकतंत्र कहाँ खो गया
विदेश में आश की किरण दिखी 
उजाले में लोकतंत्र खोजता गया

बदनसीब वे भी थे बेल न पा सके
भ्रष्टाचार नही मिला तो जेल गए
सही लोकतंत्र अब नजर आ रहा
भ्रष्टाचार उनके गले का हार हुआ

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