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लेखनी की लेखक से बगावत हुई
दृश्य जगत में उनके चर्चे आम हुए
तकाजा था वक्त को पहचाना नही
हवा बह रही वह विपरीत बह गए
बोलते वे चेहरे पर खौफ क्यों नही
डरे क्यों नही
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