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क्या सोचते हो बाबू

suresh kumar guptasuresh kumar gupta February 26, 2023
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हर एक मोड पर यहां कई मोड आते है
जीवन में समस्या के तोड़ मिल जाते है

मार्ग में थक जाना मगर उब जाना नही
कांटो भरी राह में झरने बगिया आएगी

जब चलोगे बाबू नियति मार्ग बनाएगी
जब थकने लगोगे नई ऊर्जा दे जाएगी

खट्टे मीठे अनुभवो के कई पल आएंगे
हर पड़ाव में दोस्त दुश्मन मिल जाएंगे

क्यो याद करते हो बाबू कटुता के पल
दर्दी पल बीतेंगे याद कर मुस्कराओगे

क्या सोचते हो बाबू कैसे पार पाओगे 
जीवन चलेगा हर पल ताजगी पाओगे

कब तक शिकवों की गठरी लादे रहोगे
खुशी लिए बढो हल्के दूर तक जाओगे

कहां खो गए बाबू जीवन भूलभुलैया है
क्या घबरा गए बाबू नैया का खिवैया है 

नही यहां कोई मंजिल नही कोई छोर है
चलते जाना सदा यहां नही कोई ठौर है

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