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मेरी यह विनती है सब कर दे दिल से माफ
मैं जाऊंगा वन में ले राम मिलन की आस
मांगुगा माफी गुनाहो कि उन कदमो में बैठ
मिले संबल लौटा पाऊं वे ही बने महाराज
साधु साधु बोले सब कितने नेक है विचार
गुरु माताएं सभासद अयोध्यावासी तैयार
सबने एक स्वर बोला हम भी चलेंगे साथ
करेंगे विनती राम से लौट आएं राजा राम
अगले दिन कूच करे सब चले लिवाने राम
चित्रकूट के वन में धूल का उठ रहा गुबार
लक्ष्मण बोले भैया आंधी इस ओर बढ़ रही
ऊपर चढ़ देखते राज पताका फहरा रही
बोले भाई लगता है भरत की सैना आ रही
कहीं मन मे बदनीयती का तो नही विचार
बोले राम भरत सा भाई होना दुर्लभ जान
सुन लो लक्ष्मण भरत जैसा भाई है महान
संध्या वक्त आए भ्राता चरण शीश नवाते
लक्ष्मण बोले भ
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