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कण कण में कृष्ण

suresh kumar guptasuresh kumar gupta February 28, 2023
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मदहोश निशा की अद्भुत चांदनी में 
निधिवन में अवतरित हो रास रमाते 
श्याम मुरली पर जब धुन छेड जाते
कण कण में कृष्ण जीवंत हो जाते

स्वामी हरिदास वृन्दावनधाम पधारे
ध्यान में सदा जुगल किशोर बिराजे
वृन्दावन की गलियो में स्वामी गाते
कण कण में कृष्ण जीवंत हो जाते

यमुना करीब के रमणीक कुंज में
नित्यलीला प्रेम रसास्वादन करते 
समाधि में सदा विग्रह दर्शन पाते 
कणकण में कृष्ण जीवंत हो जाते

श्यामा-कुंजविहारी की सहज जोडी
अपार रस सिंधु ह्रदय मे रमाये रहते 
कभी रसावेश मे मधुर वाणी से गाते 
कण कण में कृष्ण जीवंत हो जाते

दिनभर बंदर पँछी उछलकूद मचाते 
शाम ढले लौटते रात नही रुक पाते

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