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मर्यादा भुलाकर धर्म प्रस्थापित करने
उमड़ता हुजूम लिए जुलूस निकालते
निकल पडे थे आस्था का चोला ओढ़े
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
संवेदनशील इलाको में संवेदनहीन हो
उतेजक नारे लगाते हथियार लहराते
मर्यादा भूल बैठे थे भीड़ को उकसाते
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
क्या यदि तरीका वचा धर्म ऐसे बचाते
आस्था के नाम पत्थरबाज़ों को जगाते
पावन राम जन्मदिन पर उत्पात मचाते
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
लोगो को उकसाते कैसा समाज बनाते
धर्मिक जुलूसों में हथियार लेकर जाते
था शुभ अवसर कैसा उन्माद जगाते
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
धर्म के नाम पर धर्म बदनाम नही करते
धर्म के नाम पर आदर्श समाज बनाते
सदियो पुराना धर्म यह हमको सिखाता
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
गहरे में समझते भद्दी नुमाईश न करते
आस्था को मन की गहराई में पनपाते
देव सद्बुद्धि दे धर्म समझते समझाते
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
राम के नाम पर जीते सबको जीने देते
एक दूजे से मिल रहते फ़ासले न बढ़ाते
एक सूत्र में बांधते सहिष्णुता सीखाते
मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्मदिन मनाते
समाज तो समाज रहे समशान न बनाते
विविधता में सामंजस्य से समाज बनाते
धर्म के नाम पर धर्म की अलख जगाते
जगाते मनो में आस्था जन्मदिन मनाते
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