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जमाना बोले अवसाद हो गया
मेरा तो इश्क मुझी से हो गया
मेरा होश तो जहां में खो गया
मेरा इश्क सूफियाना हो गया
मन से राहत मन की बात हुई
मेरी यह मुलाकात मुझीसे हुई
हुआ दीदार दर्पण से कुछ ऐसे
मेरा तो मेरे अक्स में दीदार हुआ
मैं तो खो गया इस प्रेम गली में
मुझे मेरा ही पत्ता बताया गया
दुत्कारते रहते जो पग पग पर
पलटकर वे ही गले लगाते गए
छिपा हुआ साईं उस कोठरी में
जो मैंने देखा अंधेरा छाया हुआ
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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