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हम दूर बेबस खड़े

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 9, 2023
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बास्केट उलट गयी उलट गये सारे अंडे
वह पिछड़ा हार के कगार पर हम खड़े

नादानी थी एक बास्केट में रखे रहे अंडे
जिस घोड़े पर दांव लगाया सब हार बैठे

जीवन की कमाई एक बैंक में जमा की
बैंक डूबने लगी तो सब संपति डूबा बैठे

आज बेबस देख रहे सबकुछ लूटा बैठे
सारा धन दोस्त पर लगाया वो डूबा बैठे

मोटाभाई ऐसी बुरी समय की मार रही
दोस्त है मुसीबत में हम दूर बेबस खड़े

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