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एक घरवाली एक बाहरवाली
बीजी जीडी के गठबन्धन का ऐलान हुआ।
तब लिजी बिगड़ी प्रेमिका सी बिदक गयीं।
लिजी जब कूद पड़ी इस महाभारत में तो
जीडी को बर्बाद करने की कसम खा गयी।
बिजी ने बहुत उसे समझाया और मनाया।
लिजी को तो ना मानना था नही वो मानी।
कसम रब की ये रिश्ते तो रूहानी होते है।
बिजी ही शोहर मेरा, कसम उसने खायी।
प्रेमिका सड़क पर, जीडी के सामने आई।
बीवी के देखकर वो गुर्राई और चिल्लाई।
यह देख बीवी को बात समझ में आयी।
उसने जमकर शोहर की क्लास लगाई।
जीडी ने बिजी से पहले थोड़ा प्यार जताया।
उसने सोहर को अपनी लाइन पर लाया।
लिजी से रिश्ता बोल,क्या तेरी वो लगती है
क्यों हर समय वो कसमे तेरी ही खाती है।
जन्मो का तुझसे नाता, ऐसा बतलाती है।
अपने को वो बस बीवी तेरी ही बताती है।
मुझको सरेआम ललकारने वो आती है।
अलग करेगी हमें ऐसी कसम वो खाती है।
शोहर जरा हकबकाया फिर सकपकाया।
बीवी से अपनी कसम को उसने दोहराया।
डार्लिंग लिजी से मेरा कोई नाता नही।
सरेआम तेरे प्यार का मैं इजहार करता हूँ।
जीडी जब गुर्राई और बिजी पर खिसयाई।
बिजी ने प्यार की कसम जीडी की खाई।
बोला डार्लिंग हमारे संबंध सदियों पुराने है।
लिजी से कोई रिश्ता मेरा, ये में नकारता हूं।
सबके बीच लेकिन लिजी बोल ही जाती है।
कोई कुछ भी बोले ये घोषणा करती हूँ।
बिजी से तो जन्म जन्म का रिश्ता है मेरा।
जीडी से तो पुश्तेनी दुश्मनी का नाता है।
अंजाम ए आलम क्या होता है जब
बीबी का सामना प्रेमिका से होता है।
क्या करेगा सोहर बेचारा उसे तो बस।
एक खाई दूसरा कुआ नजर आता है।
लेकिन वाह रे आलम, राजनीति में मगर
हमेशा एक और एक ग्यारह नही होता है।
हमारी गणित में अपवाद नही होते मगर
राजनीति में तो गणित भी बदल जाती है।
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