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सवाल भूख का धर्म मे नही बंटता
गरीब भी धर्म का चोला उतार देता
हिन्दू बस्ती में अल्लाह को भूलता
खैरात के लिए राम का वास्ता देता
समाज जरूरत है जन विकास की
मगर रहने के नियम धर्म बनाता है
कट्टरता इंसनियत का पैमाना नही
समाज से धर्म, धर्म से समाज नही
हर धर्म की तह में झांककर देखते
दया को हर धर्म अपना मूल बताते
सारे धर्म दया सत्य अहिंसा पढाते
धर्म के लिए तो लोग कट मर जाते
धर्म की आड़ में वे दुकान चला रहे
धर्म धर्मगुरु की रोजी रोटी चलाते
लोकप्रियता लोकतंत्र का पैमाना है
तब से नेता धर्म हाइजेक कर बैठे
अब धर्म गिरवी है सता के कदमो में
नेता मंदिर बना आरती पूजा कर रहे
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