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साम्राज्य से वंचित थे हाथ एक चिराग आया
अना आंदोलन की आंच से खिचडी पकाया
जोरशोर से तैयारी की सब तरह के मुद्दे उठाए
लोकतंत्र न लाए गांठ का दांव पर लगा आये
प्रयास कामयाब हुए आरोपो की झड़ी लगाई
कोंग्रेस को पछाड़ कर तख्त अपने नाम किया
कंधो पर थी बंदूक वे अंधेरो के गर्त में समाए
सदियो से होता रहा जीत कोई और पचा गए
चाणक्य ने इतिहास रचा सबको मात दे आया
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