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ब्रह्म पूरण है जगत में

suresh kumar guptasuresh kumar gupta February 28, 2023
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धर्म शास्त्र महावाक्य सबका है एक ही सार 
ब्रह्म पूरण जगत में बाकी सब जगत असार

पूरण जो देखन चला पूरण मिलिया न कोई
पूरण आत्मा में बसे जो लखता बिरला कोई

सूर्य किरण सफेद है, जहां मिल जाते सब रंग
नजर अगर आते नही, रहता नजरो का भरम

बने तरल ठोस से गैस बने जल उठे जो तरल
विज्ञान कहता ब्रह्मांड में, तत्व नही होए कम

तत्व कभी बढता नही, न होता यहां पर कम
जीव जीव को जन्म दे जीव सदा रहता पूरण।

पूरण से सृष्टि जन्में पूरण में हो जाती है लीन
जीते मोक्ष मिल जाय जो पूरण से हो मिलन

पानी केरे बुदबुदे जग में ये जीवन का नाम।
पूरनकाम ही निष्काम है जगतपति श्री राम।

ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् , पूर्ण मुदच्यते, 
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवा वशिष्यते। 
ॐ शांति: शांति: शांतिः।

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