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धर्म शास्त्र महावाक्य सबका है एक ही सार
ब्रह्म पूरण जगत में बाकी सब जगत असार
पूरण जो देखन चला पूरण मिलिया न कोई
पूरण आत्मा में बसे जो लखता बिरला कोई
सूर्य किरण सफेद है, जहां मिल जाते सब रंग
नजर अगर आते नही, रहता नजरो का भरम
बने तरल ठोस से गैस बने जल उठे जो तरल
विज्ञान कहता ब्रह्मांड में, तत्व नही होए कम
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