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न कोई यहां झांकते न कोई यहां आने है
न कोई मार्ग पूछते न दर्शन करने आने है
मार्गदर्शक मंडल में पर और नए आने है
इस युग में बड़े बूढ़े कबाड़ नज़र आने है
जिसने पाला पोसा सींचा जिस पौध को
डालियां जो फैलती रास्ते बंद हो जाने है
अंगुली पकड़ चले आखिर छोड़ आने है
मार्गदर्शक मंडल से नए पेड़ उग आने है
मार्ग लगते फूलों से दशक मे कट जाने है
कांटो भरी राहे चलते चलते थक जाने है
दशक पहले जिन्हें लगता बुजुर्ग भार हुए
समय नही सगे उस दहलीज़ पहुंचाने है
आदर्श में अवसर का तड़का लगा भूलते
आदर्श रहेगा झूठ के तिलिस्म टूट जाने है
आदर्श की बाते करते आदर्श टूट जाने है
समय मोड़ ले महल धराशायी हो जाने है
जो कठोर निर्णय ले आखिर झुक जाने है
पके फल न लटकेंगे झोली में गिर जाने है
मानव मन ख्वाबो का इक आशियाना है
लोग मरते रहे लगता हम अमर हो जाने है
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