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न कोई यहां झांकते न कोई यहां आने है
न कोई मार्ग पूछते न दर्शन करने आने है
मार्गदर्शक मंडल में पर और नए आने है
इस युग में बड़े बूढ़े कबाड़ नज़र आने है
जिसने पाला पोसा सींचा जिस पौध को
डालियां जो फैलती रास्ते बंद हो जाने है
अंगुली पकड़ चले आखिर छोड़ आने है
मार्गदर्शक मंडल से नए पेड़ उग आने है
मार्ग लगते फूलों से दशक मे कट जाने है
कांटो भरी राहे चलते चलते थक जाने है
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