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मानवता मरी थी वजूद खो गया
जो डर बताते वे थे स्वयं डरे हुए
हथियार बने हुए जिनके हाथों में
वो बताते अज्ञात हत्यारे आ रहे
भीड़ मे खड़ी जनता भी डरीडरी
खामोश थे सभी आत्मा मरी सी
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