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मानवता मरी थी वजूद खो गया
जो डर बताते वे थे स्वयं डरे हुए
हथियार बने हुए जिनके हाथों में
वो बताते अज्ञात हत्यारे आ रहे
भीड़ मे खड़ी जनता भी डरीडरी
खामोश थे सभी आत्मा मरी सी
सत्ता में माफिया की जड़े जमी
और बैसाखी पर सरकार खड़ी
बैसाखी के सहारे धनिक खड़ा
सरकार उनके सहारे रही खडी
धर्म बताते जो धर्म जानते नही
बैसाखी के सहारे धर्म था खड़ा
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