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सर्वस्व दान में स्वार्थ रह गया
वाजश्रवा का अहं जाग उठा
गायें मेरी सर्वोपरि इच्छा मेरी
जो ठीक लगे मैं दान करूँगा
जो मेरे अहम पर चोट करेगा
मेरे धर्म पर चोट कर जाएगा
बोल बोल तेरी इतनी हिम्मत
क्या तू मुझे धर्म सीखाएगा
नचिकेता शांत नही बैठ सका
बोल उठा मैं भी हूं पुत्र तुम्हारा
सर्वस्व याग का संकल्प किया
किसको मेरा तुम दान करोगे
हमारा कर्म है धर्म रक्षण करे
हमारा धर्म है बहिष्कार करे
धर्म याग आया इस मोड़ पर
आज बहिष्कार तुम्हारा करे
अब कोई यहाँ वृजश्रवा नही
धर्म की महिमा अपरंपार रहे
जब वक्त आयेगा कुर्बानी का
पुत्र छोड़ एक बकरा ले आए
जब जब अहम पर चोट होगी
तब तब आप उठ खड़े रहोगे
समाज मे सनसनी फैलाओगे
अपने खोल में छुपते जाओगे
बयार बहेगी धर्मध्वजा थाम लो
बहिष्कार की आग लगा जाओ
धर्मभीरुओ की यहां भीड़ लगी
उन्हें बहिष्कार की डोर थमाओ
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